Gorakhpur : पूर्वी यूपी में प्रदुषण का खतरनाक स्तर बना हुआ है। जिले में तो सोमवार को एक्यूआई 300 पहुंच गया। यह इस सीजन में सबसे प्रदूषित दिन रहा। पूर्वांचल में बढ़ते प्रदुषण के कारण लोगो का दम फूल रहा है। इससे सांस के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
सबसे ज्यादा मरीज क्रॉनिक अब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के बढे है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी व चेस्ट विभाग के ओपीडी में इन दिनों रोजाना औसतन 60 से 65 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे है।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पल्मोनरीके विभागाध्यक्ष ने बताया सीओपीडी या क्रॉनिक अब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज फेफड़ो में सूजन आ जाती है, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
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इसके अतिरिक्त म्यूकस बनना खासी और अन्य समस्याए भी होती है। यदि इसका उपचार समय से नहीं किया गया तो फेफड़ो के कैंसर समेत अन्य गंभीर बीमारिया भी हो सकती है।
डॉक्टरों का कहना है की कोरोना संक्रमण ने फेफड़ो को कमजोर किया है। कोविड से पहले मेडिकल कॉलेज में 40 से 50 मरीज रोजाना सीओपीडी के इलाज के लिए ओपीडी में पहुंचते थे।
कोविड के तीन लहर ने लोगो के फेफड़ो को कमजोर कर दिया है। उनकी सांस की नालियों में सूजन और सिकुड़न हो गई। इससे सीओपीडी मरीजों की संख्या बढ़ गई है। सीओपीडी का प्रमुख कारण ध्रूमपान व प्रदुषण है।
इन दिनों महानगर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 के करीब है यह अत्यंत ख़राब वातावरण को दर्शाता है। पर्टिकुलर मैटर (पीएम- 2.5 ) 300 माइक्रोग्राम के स्तर पर है, जो डब्लूएचओ की गाइड लाइन से 16 गुना ज्यादा है।
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