Gorakhpur : लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत 17 नवंबर को नहाय खाय से हो रही है। 18 को खरना,19 को निर्जल व्रत के साथ सूर्य को अर्घ्य और 20 को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पर्व का समापन होगा। भैया दूज के तीसरे दिन छठ पर्व मनाया जाता है।

सूर्य षष्ठी व्रत में दो बार कार्तिक और चैत्र महीने में होता है। इनमे कार्तिक का छठ पर्व बहुत खास है। छठ पूजा पर्व बहुत खास है। छठ पूजा पर्व में व्रत, उपवास, उपासना पूजा अर्घ्य, उपयोग की जाने वाली वस्तुओ की पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

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दिवाली पर हुई साफ सफाई के बाद इस पर्व में भी घर और रसोई आदि की सफाई की जाती है। पर्व के दौरान निर्मित भोजन व प्रसाद में लहसुन, प्याज, आदि वर्जित होते है। लोक परंपरा के अनुसार छठ व्रत रोग- दुखो से मुक्ति संतान सुख और समृद्धि में वृद्धि के लिए रखा जाता है।

नहाय खाय से छठ पर्व की शुरुआत होती है। इस दिन महिलाएं समीप के नदी या तालाब पर जाकर चने की दाल ,कद्दू और चावल पकाती है। छठ पर्व के दूसरे दिन खरना है।

इस दिन व्रती महिलाए उपवास करेंगी और शाम को पूजा करने के बाद खीर और रोटी का पारण करेंगी। तीसरे दिन महिलाए निर्जल व्रत रखती है। महिलाए सूर्यास्त के समय जल में खड़े होकर अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी पर्व के चौथे दिन सूर्योदय के समय अर्घ्य देकर पारण करेंगी और माता छठी को विदा करेंगी।

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